भारत ने तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन का
२४ घंटे के भीतर जवाब देते हुए सायप्रस का मुद्दा उठाया
तुर्की ने भारत को कश्मीर के मामले को लेकर
संयुक्त राष्ट्र महासभा में घेरने की कोशिश की जिसपर भारत ने तुर्की को घेरते हुए सायप्रस
का मुद्दा उठाकर जवाब दिया।
कश्मीर के मुद्दे पर क्या बोले तुर्की के
राष्ट्रपति
तुर्की के राष्ट्रपति एर्डोगन ने संयुक्त
राष्ट्र सभा के 76 वे सत्र में अपने भाषण में कश्मर का मुद्दा उठा दिया था। उन्होंने कहा की कश्मीर में 74 सालो से चली आ रही
समस्या को दोनों देशो को आपस में बातचीत कर सुलझा लेनी चाहिए। एर्डोगन बार बार कश्मीर के मुद्दे को उठाते रहे
है। इससे पहले 2019 में भी कश्मीर का मुद्दा
उठाया था।
विदेश मंत्री जयशंकर ने कैसे दिया जवाब
भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस पर
24 घंटे के अंदर ही सायप्रस के मुद्दे को उठा दिया। दरसल वे एर्डोगेन के बयान के बाद
सायप्रस के विदेश मंत्री से मिले । इस दौरान
उन्होंने कहा की सायप्रस को लेकर संयुक्त राष्ट्र में जो प्रस्ताव पारित हुआ है उसका
पालन किया जाना चाहिए।
क्या है सायप्रस विवाद
सायप्रस का इतिहास
सायप्रस समय समय पर अलग अलग शासको के अधीन
रहा। सबसे पहले इसपर सिकंदर का शासन रहा फिर
उसके बाद रोमन के अधीन आया फिर तुर्की के उस्मानी साम्राज्य का कब्ज़ा हुआ। 1878 में ब्रिटेन ने सायप्रस पर कब्ज़ा किया और फिर
1960 में सायप्रस ब्रिटेन से भी आजाद हो गया।
क्या है सायप्रस विवाद
जब सायप्रस आजाद हुआ तो उसमे ज्यादातर ग्रीक
लोग ही रहा करते थे और काफी काम तुर्क लोग रहते थे लेकिन इनके बीच संघर्ष लगातार चलता
रहा। तुर्क इस सायप्रस पर नज़र पहले से ही थी
तो 1974 में तुर्क ने सायप्रस जो की एक कमजोर देश था पर हमला कर दिया और सायप्रस के
काफी हिस्से पर अपनी सेना तैनात कर दी जिससे सायप्रस अब दो हिस्सों में बट गया।
तुर्की एकमात्र ऐसा देश है जो उत्तरी सायप्रस
को मान्यता देता है बाकी कोई भी अन्य देश उत्तरी सायप्रस को मान्यता नहीं देता, संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी उत्तरी सायप्रस को मान्यता नहीं दी जिसके कारण उत्तरी
सायप्रस को अवैध माना जाता है