गुरुवार, 2 जून 2016

लैंगिक भेदभाव

ब्यक्तिगत और सामाजिक विकास के लिए महिला और पुरुष दोनों सामान रूप से महत्वपूर्ण है | महिलाएं माँ के रूप में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है जो उन्हें अद्वितीय बनता है | हालाँकि, विश्लेषण से ये पता चलता है की भारतीय समाज में महिलाओं की स्थिति अच्छी नहीं है |भारत की जनसँख्या में पुरुष और महिलाओं का लिंग अनुपात बदल रहा है जो महिलाओं के प्रतिकूल होता जा रहा है | भारतीय समाज में महिलाओं का परिवार और समाज के लिए प्रमुख योगदान होता है, दुर्भाग्य से यह समानता और प्रमुखता केवल आधी बातें ही दर्शाती है |
भारतीय समाज में महिलाओं की दहेज़ के हत्या , अनेक प्रकार के घरेलु अत्याचार , उनकी पढाई या भविष्य के बारे में ज्यादा ध्यान न देना , जल्दी शादी इत्यादि अनेक समस्याएं उनकी स्थिति को और ख़राब बनाती है | महिलाओ के साथ अक्सर देखा गया है की बचपन से ही भेद - भाव किया जाता है | भारतीय समाज में अपने पति पर निर्भरता ही ज्यादातर महिलाओं का भाग्य बन जाता है |काम ,खाना और सामाजिक गतिविधियों के वितरण के रूप में अक्सर उनके साथ भेद - भाव किया जाता रहा है |भारतीय समाज में लड़कियां आमतौर पर बोझ समझी जाती हैं और इस तरह की मानसिकता ही उनके विकास में बाधक सिद्ध होते हैं |
जब एक लड़की वयस्क होती है तो साधारणतया वो शारीरिक रूप से कमजोर और मानसिक रूप से विवश पायी जाती है | वे न तो अपनी क्षमता का एहसास करने में सक्षम होती है न ही समाज के मुख्यधारा में योगदान करने में सक्षम होती है | हालाँकि , कुछ महिलायें अपनी रस्ते में आने वाली मुश्किलों का सामना किया और जीवन कई क्षेत्रों में अपार सफलता भी प्राप्त की | शिक्षा , शादी के लिए एक न्यूनतम उम्र सीमा तथा अनेक क्षेत्रों में महिलाओं के लिए आरक्षण की व्यवस्था से थोडा बदलाव आया है | पहले की तुलना में अब अधिक से अधिक महिलाएं सार्वजनिक कार्यालयों में नजर आने लगी है जो की एक अच्छा संकेत है | हालाँकि , जहाँ तक लैंगिक भेदभाव का प्रश्न है भारतीय समाज को अभी लम्बी दूरी तय करनी है |

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