हर शाम को जब मैं तनहा रहता हूँ ,क्या जानिये खुद से मैं क्या कहता रहता हूँ .................
शायद मैं अकेले में तेरे अक्स से मिलता हूँ,
मिलकर तेरे अक्स से मैं फिर बातिएँ करता हूँ,
बातों में यादों के मैं मोती चुनता हूँ ,
यादों के मोती से मैं फिर माला बुनता हूँ
माले से फिर तेरा मैं श्रृंगार करता हूँ
शायद मैं अकेले में तेरे अक्स से मिलता हूँ .............
तुमको ये खबर है की मुझे नींद नहीं आती ,
गर साथ ना हो तुम तो , युहीं रात गुजर जाती ,
इसलिए अक्स बनकर तुम पास चली आती हो ,
लेकर आगोश में अपने कहीं दूर चली जाती हो ,
मैं पाकर साथ तुम्हारा चैन से सोता हूँ ,
शायद मैं अकेले में तेरे अक्स से मिलता हूँ .........
शायद मैं अकेले में तेरे अक्स से मिलता हूँ,
मिलकर तेरे अक्स से मैं फिर बातिएँ करता हूँ,
बातों में यादों के मैं मोती चुनता हूँ ,
यादों के मोती से मैं फिर माला बुनता हूँ
माले से फिर तेरा मैं श्रृंगार करता हूँ
शायद मैं अकेले में तेरे अक्स से मिलता हूँ .............
तुमको ये खबर है की मुझे नींद नहीं आती ,
गर साथ ना हो तुम तो , युहीं रात गुजर जाती ,
इसलिए अक्स बनकर तुम पास चली आती हो ,
लेकर आगोश में अपने कहीं दूर चली जाती हो ,
मैं पाकर साथ तुम्हारा चैन से सोता हूँ ,
शायद मैं अकेले में तेरे अक्स से मिलता हूँ .........
सुन्दर भावाभिव्यक्ति..
जवाब देंहटाएंसुंदर भावपूर्ण अभिव्यक्ति.....
जवाब देंहटाएं