बुधवार, 21 दिसंबर 2016

पेटीएम को लगी पेपाल की नज़र , किया कॉपीराइट उलंघन का केस

लगता है पेटीएम के अच्छे दिनों को नज़र लग गयी है.ये नज़र भी अजीब होती है तभी लगाती है जब कुछ अच्छा हो रहा हो तभी लगती है. अब जब पेटीएम नोटबंदी को भुना रहा था. अपने प्रचार जोरो शोरो से कर रहा था. जगह जगह बैनर पोस्टर लगा रहा था, गांव गांव में कैशलेस ट्रांजैक्शन को बढ़ावा देने के मुहीम पर लगा था की पेपाल ने पेटीएम पर कॉपीराइट उलंघन का केस कर दिया. कैलिफोर्निया की पेमेंट गेटवे कंपनी पेपाल ने भारत में ट्रेडमार्क ऑफिस में केस किया है और ये दावा किया है की पेटीएम ने जानबूझकर वही रंग इस्तेमाल किया है जो पेपाल अपने लोगो में करता है.

हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार पेपाल ने कहा है की पेटीम ने पहला शब्द गहरे नीले रंग और दूसरा रंग हलके नीले रंग का इस्तेमाल किया है. पहला शब्द भी दोनों में एक ही है जिससे लोगो के बीच गलतफहमी की स्तिथि पैदा हो रही है. क्योंकि पेपाल 1999 से ही अपने लोगो में इन रंगों का इस्तेमाल कर रहा है और साथ ही पहला शब्द पे भी इस्तेमाल कर रहा है इसलिए कॉपीराइट उलंघन का केस बनाता है. अगर ये आरोप सही पाए जाते है तो पेटीएम अपने ट्रेडमार्क का इस्तेमाल नहीं कर पायेगा. जो कंपनी के इमेज के लिए बहुत नुकसानदायक साबित हो सकता है. साथ ही आरोप सही पाए जाने पर एक बड़ी राशि भी जुर्माने के रूप में देनी पड़ेगी.


वैसे पेटीएम भी अपना ट्रेडमार्क पिछले 6 सालो से इस्तेमाल कर रहा है तो पेपाल को अब क्यों अपना लोगो याद आ रहा है. क्या यह पेपाल का पेटीएम की उपलब्धियों को भुनाने की कोशिश तो नहीं .? पेपाल का यही समय चुनना उसे भी सवालो के घेरे में तो खड़ा करता ही है. 

कहते है मुसीबत आती है तो चारो ओर से ही आती है. पेटीएम पर अभी चीन को फायदा पहुचाने का रूप तो लग ही रहा था की फाइनेंसियल एक्सप्रेस के अनुसार पेटीएम को इस शुक्रवार को 48 यूज़र्स ने करीब 6 .15   लाख का चुना लगा दिया है. पी टी आई के रिपोर्ट के अनुसार अब इस केस को सी बी आई देख रही है.कंपनी का कहना है की ग्राहकों को भेजे गए उत्पादों में कोई कमी की स्तिथि में या क्षतिग्रस्त उत्पादों को एक रिवर्स प्रक्रिया के तहत ब्यापारियों को वापस भेज दिया जाता है तथा क्षतिग्रस्त उत्पादों के लिए भुगpतान भी किया जाता है. यह सारी प्रक्रिया एक टीम के द्वारा किया जाता है जिन्हें विशेष आईडी और पासवर्ड दिया जाता है. आरोप लगाया गया है की 48 ग्राहकों के मामले में इन्हें रिफंड मिला जबकि इनके प्रोडक्ट की डिलेवरी सफल और संतोषजनक रही थी. इससे एक बड़े धोकाधड़ी का मामला बनता है.  प्रश्न यह भी उठता है की क्या ऐसी स्तिथि में पेटीएम को पेमेंट बैंक में कैसे बदला जा सकता है.

ऐसा भी नहीं है की पेटीएम पर पहली बार किसी कंपनी ने केस किया हो. इसके पहले मोबिविक ने पेटीएम पर कैशबैक ऑफर के लिए विदेशी पूजी का निवेश बताया था. हालाँकि फ्लिपकार्ट और अन्य कई कंपनिया भी डिस्काउंट ऑफर के लिए विदेशी पूँजी का सहारा लेती है.

इससे पहले इस तरह का केस ई बे ने जोमाटो पर किया था .

रविवार, 18 दिसंबर 2016

आधार कार्ड और कैशलेस ट्रांजैक्शन

आधार कार्ड और कैशलेस ट्रांजैक्शन
नोटबंदी के बाद लोगो को पैसो को लेकर काफी समस्यायों का सामना करना पड़ रहा है. एटीएम और बैंको में कैश की कमी को देखते हुए कैशलेस ट्रांजैक्शन ही एक बेहतर विकल्प नजर आ रहा है . सरकार भी इस तरफ गंभीरता से सोच रही है. ज्यादा से ज्यादा लोगो को कैशलेस ट्रांजक्शन से जोड़ने के लिए  नए नए तरीके ले कर आ रही है.  इसी के तहत अब कैशलेस ट्रांजैक्शन के लिए आधार कार्ड के प्रयोग पर काम कर रही है. ये कैशलेश के तरफ बढ़ने वाला सबसे क्रांतिकारी कदम होने जा रहा है.

इनफोकस लांच करेगा आधार इनेबल्ड फ़ोन

सरकार जल्द से जल्द आधार इनेबल्ड पेमेंट के लिए ऐप बनाने की कोशिश कर रही है. मोबाइल कंपनिया नए मोबाइल सेट में फिंगरप्रिंट या आईरिस की पहचान करने वाला सिस्टम बनाने पर विचार कर रहे है. इसी कड़ी में अभी कुछ दिन पहले ही इनफोकस ने भारत में जल्द ही ऐसा स्मार्टफोन लांच करने का एलान किया है जो उपभोक्ता के लिए आधार कार्ड का काम करेगी. इस फ़ोन को इनफोकस एम425 नाम दिया गया है. अमेरिका की मोबाइल बनाने वाली कंपनी इनफोकस का कहना है की इस फ़ोन में आईरिस स्कैनर लगा होगा. इस फ़ोन की कीमत करीब12000 रुपये बताई जा रही है. इनफोकस के अनुसार,  इसे एस टी क्यू सी (स्टैंडर्डाइजेशन टेस्टिंग ऐंड क्वॉलिटी सर्टिफिकेशन) मिला है. बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन में आइरिश रिकॉग्निशन डिवाइसेस के इस्तेमाल के लिए  एस टी क्यू सी सर्टिफिकेशन दिया जाता है. इनफोकस एम425में सुपीरियर इमेज क्वालिटी असेसमेंट एल्गोरिदम होगाजिससे सही आईडेन्टिफिकेशन की जा सकेगी. इनफोकसयू आई डी ए आई के अलावा केन्या अमेरिका और कोलम्बिया  में सरकारी एजेंसियों के साथ मिलकर काम करती है. अब तक सिर्फ सैमसंग ही ऐसी कंपनी है जो गैलेक्सी टैब में आईरिस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर रही है.

आईये देखते है की क्या होगा ये सिस्टम और यह कैसे काम करेगा.

आधार कार्ड में आपकी पूरी डिटेल दर्ज होती है. देश भर में लोगो को आधार कार्ड जारी करने वाले यू आई डी ए आई के पास लोगो के फिंगरप्रिंट और आँखों की पहचान यानि आईरिस डाटा मौजूद होगा. लेन देन करने वालो का आधार नंबर बैंक से लिंक होना जरूरी होगा. इसके बाद आपको आधार इनेबल्ड डिवाइस पर या स्मार्टफोन पर अंगूठा या अपने आँखों की पहचान देनी होगी. पहचान मैच होते ही पेमेंट हो जायेगा. फिंगरप्रिंट या आईरिस के जरिये ही पेमेंट होगा. डिजिटल लेन देन में आधार नंबर का सिस्टम शुरू करने के लिए सरकारी कोशिशे जोरो पर है. आँध्रप्रदेश में आधार नंबर पर राशन बाटने की योजना सफल रही है. 
क्या होंगे फायदे
आधार इनेबल्ड पेमेंट सिस्टम यानि  (ए इ पी एस) के चलन में आते ही बहुत सारी समस्याएं एक झटके में ख़तम हो जाएँगी. बैंको पर भी काम का दबाव कम होगा. आधार इनेबल्ड पेमेंट सिस्टम के और भी फायदे है जैसे आप अपने खाते का बैलेंस पता कर सकते है.  पैसा निकाल सकते है. पैसा जमा कर सकते है. दूकान पर पेमेंट कर सकते है. इसका सबसे बड़ा फायदा तो यह है की लोग पिन और पासवर्ड जैसी प्रक्रिया से बच जायेंगे. पैसा उपभोक्ता के अकाउंट से दूकानदार के अकाउंट में सीधे चला जायेगा. आधार नंबर का डिजिटल सिस्टम लागु होने पर लोगो को डेबिट या क्रेडिट कार्ड ले कर चलने से छुटकारा मिलेगा. साथ ही कार्ड के पिन याद करने के झंझट से भी मुक्ति मिलेगी. कार्ड के खो जाने का भी डर ख़त्म हो जायेगा. आधार इनेबल्ड पेमेंट सिस्टम के सफल हो जाने पर सरकार कैशलेश ट्रांजैक्शन में आम आदमी को जोड़ सकेगी.

क्या हो सकते है नुकसान

एसोचैम ( दी एसोसिएटेड चैम्बर्स ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ़ इंडिया ) और एक रिसर्च फर्म ई वाई के रिपोर्ट के अनुसार भारत में मोबाइल फ्रॉड 60 से 65 प्रतिशत तक बढ़ने की संभावना है. साथ ही साथ नेटबैंकिंगडेबिट और क्रेडिट कार्ड के फ्रॉड भी बढ़ेंगे. ऐसे में सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती करोड़ो लोगो के बायोमेट्रिक डाटा को सुरक्षित और इस्तेमाल लायक बनाना होगा. इसके अलावा आपको पैसे के लेन देन के लिए आपका मौजूद रहना जरूरी होगा.

रविवार, 11 दिसंबर 2016

भारत संचार निगम लिमिटेड यानी बीएसएनएल और एयरसेल लेकर आये अनलिमिटेड कालिंग

रिलायंस कि जियो ऑफर 5 सितम्बर को लांच किया था | जियो कि यह ऑफर तीन महीने के लिए था जिसकी अवधी अब बढ़ा कर 31 मार्च 2016 तक कर दिया गया है | जियो के इस ऑफर के बाद अन्य कंपनियों ने भी अपने प्लान सस्ते करने शुरू कर दिए | अब बीएसएनएल  जियो से टक्कर लेने के लिए एक शानदार प्लान लाया है | इस प्लान से 149 रुपये में अनलिमिटेड लोकल और एसटीडी कॉल कर पाएंगे | यह प्लान एक महीने के लिए होगा | इस प्लान को एक जनवरी से शुरू होने की संभावना है |

जैसा की बताया जा रहा है इस प्लान में अनलिमिटेड कॉल के अलावा 300 MB डाटा और 100 एसटीडी और लोकल SMS भी शामिल है इस प्लान से बीएसएनएल , रिलायंस जियो को टक्कर दे सकता है |

ठीक इसी तरह का प्लान एयरसेल ने भी लांच किया है | हिंदुस्तान के अनुसार एयरसेल 148 रुपये में तीन महीने अनलिमिटेड कालिंग कि प्लान लाया है | एयरसेल ने इस प्लान कि नाम ऍफ़ आर सी 148 रखा है |

इस प्लान में आपको एयरसेल टु एयरसेल अनलिमिटेड कालिंग कि लाभ मिलेगा | अन्य नेटवर्क पर भी आप 250 मिनट लोकल व एसटीडी बात कर सकते है | 250 मिनट समाप्त होने के बाद 30पैसा/ मिनट कि चार्ज लगेगा | इस प्लान के लिए आपको 148 के अलावा तीन महीने में कम से कम 50 रुपये कि रिचार्ज करना होगा |

5G upcoming technology

आपलोग 2G , 3G , 4के बारे में जरूर सुना होगा और आप में बहुत सारे लोग इनमे से किसी ना किसी टेक्नोलॉजी को इस्तेमाल कर रहे होंगे और ज्यादातर लोग जो 4G का भी इस्तेमाल कर रहे होंगे कहीं ना कहीं अपने इन्टरनेट की स्पीड को और बेहतर चाहते होंगे | सबसे पहले 2G आया 1991 में उसके बाद 3G आया 1998 में फिर 4G आया 2008 में और अब  आने वाले दिनों में 2020 तक  आप 5G का इस्तेमाल कर पाएंगे जिसकी स्पीड 4G से कही अच्छी होगी |

5बिलकुल अलग तरह से काम करेगा जैसे की अभी वर्तमान में हम 700MHz , 1900 MHz फ्रीक्वेंसी का प्रयोग करते है मतलब फ्रीक्वेंसी बैंड की सीमा 1GHz से 2GHz की है जबकि 5G 28 GHz से शुरू होगा जोकी 60 GHz तक जा सकता है |

फ्रीक्वेंसी बढ़ने से हम काफी तेजी से डाटा एक जगह से दूसरी जगह भेज पाएंगे और इन्टरनेट की स्पीड काफी बढ़ जाएगी पर इसका नुकसान ये होगा की सिग्नल लॉस ज्यादा होगा क्योंकि फ्रीक्वेंसी बढ़ने से रेंज कम हो जाती है | इस समस्या से निजात पाने के लिए मिलीमीटर वेव टेक्नोलॉजी का प्रयोग करते है जिससे हमें अपने स्मार्टफोन में मल्टीप्ल एंटेना लगाने की सहूलियत मिल जाएगी जिससे सिग्नल स्ट्रेंथ बढ़ाया जा सकेगा और यही काम हम मोबाइल टावर के साथ भी कर सकते है |

अभी 5G के लिए कोई मानक तय नहीं किया गया है जैसा की 4G के लिए LTE डिफाइंड किया गया है या 3के लिए HSPA या उमटस है तो अभी हमें इसके लिए इंतज़ार करना पड़ेगा |


अगर 5G के स्पीड की बात करे तो QUALCOMM के अनुसार इसकी स्पीड 5GPs हो सकती है और QUALCOMM इसे 2018 के ओलंपिक में टेस्ट भी करने वाला है

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