दोस्तो मैने ये कविता बहुत पहले लिखी थी. मैने इसे जब ब्लोग सुरु किया था तब मैने इसे डाली थी मैं फिर से प्रस्तुत कर रहा हूं क्रिपया अपने विचार व्यक्त करें.
अंतर्मन का अंतर्द्वंद , या अंतर्मन की व्याकुलता !
अंतर्मन करता क्रंदन , या अंतर्मन की आतुरता !
अश्रुहीन अब नेत्र बने , वह पुष्प ह्रदय अब कुम्हलाया !
निस्तेज हुआ वह मुखमंडल , रहती उस पर क़ालि छाया !
तन कृ्शकाय हुआ जाता , मन विचलित हो डूब रहा !
ह्रदय विदीर्ण व्यंग वाणों से , वाणी का रस छूट रहा !
अंतर्मन अब ऐसी ब्यथा को अंतहीन सा पता है,
पाता खुद को अब लक्ष्य्हीन हो दिशाहीन घबराता है !
दिग्भ्रमित हुआ अब अंतर्मन , वह अंतर्कन में टूट रहा !
वह जूझ रहा अंतर्मन से , वह अंतर्मन से पूछ रहा !
वह पूछ रहा अंतर्मन से , तुम क्यों इतने अवसादग्रस्त ,
जब मित्रो का है साथ तुम्हें और मित्र तुम्हारे सिद्धहस्त!
मित्र सुधा हो जीवन में , तब अंतर्मन आह्लाद करे !
पुलकित हो वह नृत्य करे , न लेशमात्र अवसाद रहे !
मित्र तुम्हारे निकट खडा मैं, व्याकुल हूँ करता क्रंदन !
मित्र सुधा की बूँद पिला , अब शांत करो ये अंतर्मन. !
अंतर्मन का अंतर्द्वंद , या अंतर्मन की व्याकुलता !
अंतर्मन करता क्रंदन , या अंतर्मन की आतुरता !
अश्रुहीन अब नेत्र बने , वह पुष्प ह्रदय अब कुम्हलाया !
निस्तेज हुआ वह मुखमंडल , रहती उस पर क़ालि छाया !
तन कृ्शकाय हुआ जाता , मन विचलित हो डूब रहा !
ह्रदय विदीर्ण व्यंग वाणों से , वाणी का रस छूट रहा !
अंतर्मन अब ऐसी ब्यथा को अंतहीन सा पता है,
पाता खुद को अब लक्ष्य्हीन हो दिशाहीन घबराता है !
दिग्भ्रमित हुआ अब अंतर्मन , वह अंतर्कन में टूट रहा !
वह जूझ रहा अंतर्मन से , वह अंतर्मन से पूछ रहा !
वह पूछ रहा अंतर्मन से , तुम क्यों इतने अवसादग्रस्त ,
जब मित्रो का है साथ तुम्हें और मित्र तुम्हारे सिद्धहस्त!
मित्र सुधा हो जीवन में , तब अंतर्मन आह्लाद करे !
पुलकित हो वह नृत्य करे , न लेशमात्र अवसाद रहे !
मित्र तुम्हारे निकट खडा मैं, व्याकुल हूँ करता क्रंदन !
मित्र सुधा की बूँद पिला , अब शांत करो ये अंतर्मन. !
मित्र सुधा हो जीवन में , तब अंतर्मन आह्लाद करे !
जवाब देंहटाएंपुलकित हो वह नृत्य करे , न लेशमात्र अवसाद रहे !
सुन्दर आज के दिन के लिये बेहतरीन रचना बधाई श्य्भकामनाये़
वह पूछ रहा अंतर्मन से , तुम क्यों इतने अवसादग्रस्त ,
जवाब देंहटाएंजब मित्रो का है साथ तुम्हें और मित्र तुम्हारे सिध्धहस्त!
सुंदर अभिव्यक्ति...
Likhte rahiye.Shubkamnayen.
जवाब देंहटाएंआपकी कविता में भावः पक्ष बहुत मजबूत है, शब्द-कोष भी अच्छा है आपका, बस आप वर्तनी कि अशुद्धियाँ ठीक कर लें...तो यह कविता आपके ब्लॉग का अभिमान बन जायेगी...
जवाब देंहटाएंप्रशंसनीय भाव हैं.
जवाब देंहटाएंKya mazboori hai!! wah!
जवाब देंहटाएंआपकी कविता सुन्दर है कुछ शब्द ऐसे लिखें कृषकाय इसके लिये k के बाद शिफ़्ट दबा कर r व u दबाएं कॄ बन जाएगा
जवाब देंहटाएंफ़िर शिफ़्ट दबा कर s dbaayenश यह बनेगा अब h dabaane se ष बन जाएगा
इसी तरह सिद्ध के लिये दो बार d दबाकर द्द बनने के बाद h dabaaen
द्ध बन जाएगा
और किसी शब्द की असुविधा होने पर मुझे लिखें यथा संभव सहायता करूंगा
यह word verification टिप्पणी की दुश्मन है इसे हटाएं