मित्र दिवस पर समर्पित एक कविता
मित्रता एक शब्द नही भावना है एहसास है
जैसे पवन में सुगंध की मिठास है
मित्रता एक अतुलनीय सम्मान हैं विश्वास है
दुख के अंधेंरे में सुख का प्रकाश है
मित्रता कड़ी धूप में बरगद कि छाँव है
तपती हुई रेत पर रास्ते बताते हुए पाँव है
मित्रता आप से आपकी पहचान है
अपने गुनो अवागुणो का ज्ञान है
मित्रता अहं राग द्वेष ईर्ष्या का हवन है
प्रेम सौहार्द कर्म ज्ञान से निर्मित भवन है
मित्रता एक शब्द नही भावना है एहसास है
जैसे पवन में सुगंध की मिठास है
मित्रता एक अतुलनीय सम्मान हैं विश्वास है
दुख के अंधेंरे में सुख का प्रकाश है
मित्रता कड़ी धूप में बरगद कि छाँव है
तपती हुई रेत पर रास्ते बताते हुए पाँव है
मित्रता आप से आपकी पहचान है
अपने गुनो अवागुणो का ज्ञान है
मित्रता अहं राग द्वेष ईर्ष्या का हवन है
प्रेम सौहार्द कर्म ज्ञान से निर्मित भवन है
मित्रता अहं राग द्वेष ईर्ष्या का हवन है
जवाब देंहटाएंप्रेम सौहार्द कर्म ज्ञान से निर्मित भवन है
बहुत खूब
wah kya kub kahi bhaiya aapne
जवाब देंहटाएंaap to pure kavi ban gaye ho.......
wah! wah !.........
Bahut khoobsurat
जवाब देंहटाएंbahut hi accha
जवाब देंहटाएंbahut hi accha
जवाब देंहटाएंwhah whah kya baat hai!!!!!!
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जवाब देंहटाएंमित्रता एक शब्द नही भावना है एहसास है
जैसे पवन में सुगंध की मिठास है...बहुत खुब