शुक्रवार, 4 नवंबर 2016

मैं एक हिन्दू हूँ और परेशान हूँ .......


मैं एक हिन्दू हूँ और परेशान हूँ धर्म निरपेक्ष रहना चाहता हूँ पर ......... और मेरी ये परेशानी लगातार बढती जा रही है मुझे समझ नहीं आ रहा की मैं क्या करू | हिन्दू हूँ तो जहां मैं ३३ करोड़ देवी देवताओं का आदर सम्मान कर सकता हूँ तो अवश्य ही कुछ और अलाह ईसामसीह और अन्य देवी देवताओं का आदर कर सकता हूँ और ये सब करते हुए भी मैं हिन्दू रह सकता हूँ लेकिन मुझे तब दुख होता है जब मेरे मुस्लिम भाई क्रिश्चियन भाई प्रसाद खाने से मना कर देते है तिलक लगाने से मना कर देते हैं | क्या धर्म निरपेक्ष होना सिर्फ हिन्दुओं का उत्तरदायित्व है | अगर भारत धर्म निरपेक्ष है तो क्यों हमारे आपके टैक्स के पैसो से हज सब्सिडी दी जाती है . क्या यह एक विशेष धर्म का पक्ष लेना नहीं है ... लेकिन फिर वही बात की मैं हिन्दू हूँ और मुझे लगता है की ठीक है कोई बात नहीं अगर इससे वो खुश है तो ठीक है क्योंकि ईद मुबारक कहना मुझे भी अच्छा लगता है | इस समय हम ऐसे देश में रह रहे है जहाँ अगर कोई मुसलमान या क्रिश्चियन कहे की भारत को मुस्लिम या क्रिश्चियन राष्ट्र बना दे तो कोई खबर नहीं बनती और ये सूडो इंटेलेक्टुअल के पेट में दर्द नहीं होता लेकिन जैसे ही किसी ने कहा की ये हिन्दू राष्ट्र है तो ये सूडो इंटेलेक्टुअल अपना झाल मंजीरा लेकर आ जाते है राग अलापने .. भाई मेरे अगर विरोध करना है तो दोनों का करो , क्योंकि दोनों गलत है सेलेक्टिव क्रिटसिज़्म बंद करो ... मैं हिंदू हूँ और कहा जाता है माइनॉरिटी को आप लोग दबाते है ६० साल में हम एक मंदिर नहीं बना सके जब की देश में ८० प्रतिशत हिन्दू हैं और आप कहते हैं हम आपकी नहीं सुनते अगर ऐसा होता तो मंदिर कब का बन गया होता .पर ऐसा नहीं है बीच का रास्ता निकालने की कोशिश हो रही है , मैं बीफ नहीं खाता शाकाहारी हूँ पर अगर आप खाना चाहे तो खा सकते हैं ये आपका बेहद निजी मसला है लेकिन जब ये आप सिर्फ हमें चिढ़ाने के लिए करते हैं तब दुःख होता है और गुस्सा भी आता है . आप को जो खाना हो खाएं पर चिढ़ाएं नहीं ... 
अगर ये तथाकथित बुद्धजीवी अपना पुरस्कार वापस करना चाहते है तो करें मैं आपके साथ रहूँगा.... जब आप कहेंगे , हज सब्सिडी हटा ली जाये , सबके लिए एक ही कानून हो, धर्म विशेष के लिए अलग अलग व्यवस्थाएं न हों , आप अगर दादरी का विरोध कर रहे है पुजारी की भी हत्या का विरोध करिये .... आरक्षण आर्थिक आधार पर हो , किसी भी तरह के हिंसा को धर्म से या जाती से न जोड़ा जाये , हिन्दू आतंकवाद ,मुस्लिम आतंकवाद जैसे शब्दों का प्रयोग बंद हो , आतंकवादी को सिर्फ आतंकवादी कहा जाये ......
इतनी उम्मीद तो मैं आप लोगो से कर ही सकता हूँ .......

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