लगता है पेटीएम के अच्छे दिनों को नज़र
लग गयी है.ये नज़र भी अजीब होती है तभी लगाती है जब कुछ अच्छा हो रहा हो तभी लगती
है. अब जब पेटीएम नोटबंदी को भुना रहा था. अपने प्रचार जोरो शोरो से कर रहा था.
जगह जगह बैनर पोस्टर लगा रहा था,
गांव गांव में कैशलेस ट्रांजैक्शन को बढ़ावा देने के मुहीम पर लगा था
की पेपाल ने पेटीएम पर कॉपीराइट उलंघन का केस कर दिया. कैलिफोर्निया की पेमेंट
गेटवे कंपनी पेपाल ने भारत में ट्रेडमार्क ऑफिस में केस किया है और ये दावा किया
है की पेटीएम ने जानबूझकर वही रंग इस्तेमाल किया है जो पेपाल अपने लोगो में करता
है.
हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार पेपाल ने
कहा है की पेटीम ने पहला शब्द गहरे नीले रंग और दूसरा रंग हलके नीले रंग का
इस्तेमाल किया है. पहला शब्द भी दोनों में एक ही है जिससे लोगो के बीच गलतफहमी की
स्तिथि पैदा हो रही है. क्योंकि पेपाल 1999 से ही अपने लोगो में इन रंगों का इस्तेमाल कर
रहा है और साथ ही पहला शब्द पे भी इस्तेमाल कर रहा है इसलिए कॉपीराइट उलंघन का केस
बनाता है. अगर ये आरोप सही पाए जाते है तो पेटीएम अपने ट्रेडमार्क का इस्तेमाल
नहीं कर पायेगा. जो कंपनी के इमेज के लिए बहुत नुकसानदायक साबित हो सकता है. साथ
ही आरोप सही पाए जाने पर एक बड़ी राशि भी जुर्माने के रूप में देनी पड़ेगी.
वैसे
पेटीएम भी अपना ट्रेडमार्क पिछले 6 सालो से इस्तेमाल कर रहा है तो पेपाल
को अब क्यों अपना लोगो याद आ रहा है. क्या यह पेपाल का पेटीएम की
उपलब्धियों को भुनाने की कोशिश तो नहीं .? पेपाल का यही समय चुनना उसे भी
सवालो के घेरे में तो खड़ा करता ही है.
कहते है मुसीबत आती है तो चारो ओर से
ही आती है. पेटीएम पर अभी चीन को फायदा पहुचाने का रूप तो लग ही रहा था की
फाइनेंसियल एक्सप्रेस के अनुसार पेटीएम को इस शुक्रवार को 48 यूज़र्स ने करीब 6 .15
लाख का चुना लगा दिया है. पी टी आई के रिपोर्ट के अनुसार अब इस केस को सी
बी आई देख रही है.कंपनी का कहना है की ग्राहकों को भेजे गए उत्पादों में कोई कमी
की स्तिथि में या क्षतिग्रस्त उत्पादों को एक रिवर्स प्रक्रिया के तहत ब्यापारियों
को वापस भेज दिया जाता है तथा क्षतिग्रस्त उत्पादों के लिए भुगpतान भी किया जाता है. यह सारी
प्रक्रिया एक टीम के द्वारा किया जाता है जिन्हें विशेष आईडी और पासवर्ड दिया जाता
है. आरोप लगाया गया है की 48
ग्राहकों के मामले में इन्हें रिफंड मिला जबकि इनके प्रोडक्ट की डिलेवरी सफल और
संतोषजनक रही थी. इससे एक बड़े धोकाधड़ी का मामला बनता है. प्रश्न यह भी उठता है की क्या ऐसी स्तिथि में
पेटीएम को पेमेंट बैंक में कैसे बदला जा सकता है.
ऐसा भी नहीं है की पेटीएम पर पहली बार
किसी कंपनी ने केस किया हो. इसके पहले मोबिविक ने पेटीएम पर कैशबैक ऑफर के लिए
विदेशी पूजी का निवेश बताया था. हालाँकि फ्लिपकार्ट और अन्य कई कंपनिया भी
डिस्काउंट ऑफर के लिए विदेशी पूँजी का सहारा लेती है.
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