सोमवार, 6 जून 2016

वेश्यावृत्ति और मानव तस्करी


चार साल पहले लिखा था आज भी उतना ही सत्य और भयावह 

वाराणसी के निकट एक गांव से एक दलित लड़की जब (12 वर्षीय रूपा ) ने कहा कि उसके साथ मकान मालिक के बेटे और दोस्तों, द्वारा बलात्कार किया गया था तो गांव पंचायत (ग्राम परिषद) उसपर विश्वास से इनकार कर दिया. इसके बजाय, पंचायत का कहना था कि यह एक मनगढ़ंत कहानी है. रूपा की समस्याएं यहीं ख़त्म नहीं हुई , उसकी मदद के बहाने उसके पडोसी ने कोलकाता में घरेलु काम की पेशकश की और उसे कोलकाता ले जाने के बजाय उसे दिल्ली ले आये और उसे १०,००० रुपये के लिए एक वेश्यालय में बेच दिया. रूपा के अनुसार, इस वेश्यालय में उसके जाती और उसके अपने गाँव से अन्य लड़किया भी हैं | रूपा की तरह २० साल की माला को नेपाल से उत्तर प्रदेश लाया गया था जब वो १० साल की थी. उसके साथ अपने ही संरक्षक (जो उसे एक महीने से अधिक बंदी बनाकर रखा था) द्वारा बलात्कार किया गया था फिर उसे मुंबई लाया गया था | वह पिछले एक दशक से एक सेक्स वर्कर के रूप में इस शहर में काम कर रही है और अक्सर ६ से १० ग्राहकों को संतुष्ट करती है | हाल ही में लखनऊ में UNDP और BETI फाउंडेशन द्वारा एक कार्यशाला का आयोजन कर महिलाओं और युवा लड़कियों के तस्करी पर प्रकाश डाला | रोमा श्यामसुंदर (Vice President of STOP) -- एक दिल्ली स्थित गैर सरकारी संगठन के अनुसार (जो सक्रिय रूप से इन लड़कियों के बचाव में लगे हैं )मानव तस्करी, हथियार और नशीले पदार्थो के तस्करी से अधिक लाभप्रद है . श्यामसुंदर के अनुसार, जब किसी लड़की की तस्करी की जाती है तो वेश्यालय के मालिक को भुगतान का एक दुष्चक्र सुरु हो जाता है और वह एक जीवन पर्यंत चलने वाले दुष्चक्र में फंस जाती है, भले ही उसे बचाया जाए , उसकी दुर्दशा में कोई सुधार नहीं होता क्योंकि वह उसके परिवार या समाज द्वारा स्वीकार नहीं की जाती नतीजतन कोई विकल्प ना होने की स्तिथि में पुनः वेश्यावृत्ति के धंधे में जाने को विवश होती है | बंगलादेश, नेपाल और भारत के सीमावर्ती क्षेत्रों में गरीबी को देखते हुए और सांस्कृतिक देवदासी प्रणाली की तरह वेश्यावृत्ति को मंजूरी दी गयी थी | उम्मीद के मुताबिक, यह उच्च गरीबी और कम महिला साक्षरता के साथ सीमा क्षेत्रों में सबसे ज्यादा है | उत्तरांचल भी मानव तस्करी और वेश्यवृती का एक बड़ा हब है विशेष रूप से पिथौरागढ़ और चम्पावत में | १९९४ के अवैध व्यापार की संयुक्त राष्ट्र की ब्याख्या , महिलाओं और बच्चों को मजबूर कर यों शोषण की स्तिथि में राष्ट्रीय सीमाओं पर ब्यक्तियों की गुप्त और अवैध गतिविधियों को सीमित करता है , आज इसके ब्यापक अर्थ में अपहरण, पलायन और महिलाओं और लड़कियों को फुसला कर बेहतर काम की संभावनाओं के लिए आतंरिक तस्करी भी सामिल है | पिछले एक दशक से जवान लड़कियों के तस्करी में हुयी बृद्धि सरकारी और गैर सरकारी संगठनो में चिंता का कारण बना हुआ है | STOP और MAITI जैसे गैर सरकारी संगठनो की रिपोर्ट के अनुसार नेपाल और भारत में सबसे अधिक मानव व्यापार (सीमा पार और देश में ) वेश्यावृत्ति के लिए है और इनमें ६० प्रतिशत १२ से १६ वर्ष की किशोर लडकियां है | इससे भी खतरनाक तथ्य यह है की तस्करी लड़कियों की जो आयु १९८० के दशक में १४ से १६ वर्ष के बीच थी १९९० में १० से १४ वर्ष से नीचे आ गया है | ये आकडे उत्तर प्रदेश के १३ संवेदनशील जिलों में महिला एवं बाल विभाग द्वारा किये गए अध्ययन परिपुस्त कराती हैं | इससे यह पता चलता है की सभी लड़कियों ने इस व्यवसाय में किशोरावस्था में प्रवेश किया था | भूमंदालिकरण, तस्करी गिरोहों का व्यवसायीकरण, गरीबी और सेक्स पर्यटन के क्षेत्र बृद्धि - सभी ने मानव तस्करी में योगदान दिया है | इस समस्या से HIV/AIDS भी तेजी से बढ़ रहा है .अध्ययन बताते हैं की सभी उम्र की महिलाएं पुरुषों की तुलना में ज्यादा संक्रमण की चपेट में है, युवा लड़कियों में ये खतरा ज्यादा है , इसके अलवान उनका योन संबंधों और योन स्वस्थ्य पर कोई नियंत्रण नहीं है | STOP (गैर सरकारी संगठन ) द्वारा एक नेपाली बच्चे को एक वेश्यालय से बचाया गया के अनुसार " ग्राहक को कंडोम पसंद नहीं और वेश्यालय का मालिक मुझसे कहता है ग्राहक जो कहता है वो करो , मना करने पर पिटाई होती है और पैसे भी नहीं मिलते "|

तस्करी की गुप्त प्रकृति जो अकसर पारिवारिक सहमति से किया जाता है पर कोई सरकारी या गैर सरकारी संगठन योजना या कार्यवाही कारगर नहीं होती | उत्तर प्रदेश के १३ जिलों में किये गए अध्ययन से पता चलता है की १३४१ यौनकर्मियों में वेश्यालय पर आधारित वेश्यावृत्ति ७९३ थी तथा परिवार आधारित वेश्यावृत्ति ५४८ थी | हालाँकि बहुत कम सफलता मिली है पर महिलाओं और लड़कियों के पुनर्वास के प्रयास में अब एक अधिकार आधारित दृष्टिकोण अपनाने से स्तिथि में कुछ बदलाव आया है जो HIV/AIDS सम्बंधित कलंक का मुकाबला करने , पीडितो को सशक्त बनाने की रणनीति का विकास और शामिल महिलाओं और लड़कियों के पुनर्वास मोड्डों पर आधारित है , लेकिन इस क्षेत्र में बहुत कुछ करने की जरूरत है | श्यामसुंदर कहते हैं , " हम मानते हैं की सभी बच्चों को बचाया जाय | एक १० वर्षीय बच्चे के लिए १० - १२ ग्राहक प्रति दिन बलात्कार से भी बदतर है , आवश्यकता है एक बहु - आयामी सशक्त रणनीति की जो तस्करी को रोकने में मदद करे और बचाव और पुनर्वास की प्रक्रिया में भी शामिल हो | कार्य अभी कठिन है , राजनीतिक प्रथिमिकताओं में इसे इतना महत्व नहीं दिया गया जितना दिया जाना चाहिए


1 टिप्पणी:

  1. जय मां हाटेशवरी...
    अनेक रचनाएं पढ़ी...
    पर आप की रचना पसंद आयी...
    हम चाहते हैं इसे अधिक से अधिक लोग पढ़ें...
    इस लिये आप की रचना...
    दिनांक 10/06/2016 को
    पांच लिंकों का आनंद
    पर लिंक की गयी है...
    इस प्रस्तुति में आप भी सादर आमंत्रित है।

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