ब्यक्तिगत और सामाजिक विकास के लिए महिला और पुरुष दोनों सामान रूप से
महत्वपूर्ण है | महिलाएं माँ के रूप में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है जो
उन्हें अद्वितीय बनता है | हालाँकि, विश्लेषण से ये पता चलता है की भारतीय
समाज में महिलाओं की स्थिति अच्छी नहीं है |भारत की जनसँख्या में पुरुष और
महिलाओं का लिंग अनुपात बदल रहा है जो महिलाओं के प्रतिकूल होता जा रहा है
| भारतीय समाज में महिलाओं का परिवार और समाज के लिए प्रमुख योगदान होता
है, दुर्भाग्य से यह समानता और प्रमुखता केवल आधी बातें ही दर्शाती है |
भारतीय
समाज में महिलाओं की दहेज़ के हत्या , अनेक प्रकार के घरेलु अत्याचार ,
उनकी पढाई या भविष्य के बारे में ज्यादा ध्यान न देना , जल्दी शादी इत्यादि
अनेक समस्याएं उनकी स्थिति को और ख़राब बनाती है | महिलाओ के साथ अक्सर
देखा गया है की बचपन से ही भेद - भाव किया जाता है | भारतीय समाज में अपने
पति पर निर्भरता ही ज्यादातर महिलाओं का भाग्य बन जाता है |काम ,खाना और
सामाजिक गतिविधियों के वितरण के रूप में अक्सर उनके साथ भेद - भाव किया
जाता रहा है |भारतीय समाज में लड़कियां आमतौर पर बोझ समझी जाती हैं और इस
तरह की मानसिकता ही उनके विकास में बाधक सिद्ध होते हैं |
जब एक
लड़की वयस्क होती है तो साधारणतया वो शारीरिक रूप से कमजोर और मानसिक रूप
से विवश पायी जाती है | वे न तो अपनी क्षमता का एहसास करने में सक्षम होती
है न ही समाज के मुख्यधारा में योगदान करने में सक्षम होती है | हालाँकि ,
कुछ महिलायें अपनी रस्ते में आने वाली मुश्किलों का सामना किया और जीवन कई
क्षेत्रों में अपार सफलता भी प्राप्त की | शिक्षा , शादी के लिए एक न्यूनतम
उम्र सीमा तथा अनेक क्षेत्रों में महिलाओं के लिए आरक्षण की व्यवस्था से
थोडा बदलाव आया है | पहले की तुलना में अब अधिक से अधिक महिलाएं सार्वजनिक
कार्यालयों में नजर आने लगी है जो की एक अच्छा संकेत है | हालाँकि , जहाँ
तक लैंगिक भेदभाव का प्रश्न है भारतीय समाज को अभी लम्बी दूरी तय करनी है |
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