लौट अगर तुम वापस आते !
उर की सारी व्यथा पुरानी,
करुनामय सन्देश की वाणी ,
संचित विरह अंत हो जाते ,
उर की सारी व्यथा पुरानी,
करुनामय सन्देश की वाणी ,
संचित विरह अंत हो जाते ,
लौट अगर तुम वापस आते !
ग!ता प्राणों का तार तार ,
ग!ता प्राणों का तार तार ,
आँखें देती सर्वस्वा वार,
रोम रोम पुलकित हो जाते,
लौट अगर तुम वापस आते !
छा जाता जीवन में बसंत ,
सब ब्यथा कथा जीवन पर्यंत ,
बन पराग पथ में बिछ जाते ,
लौट अगर तुम वापस आते
रोम रोम पुलकित हो जाते,
लौट अगर तुम वापस आते !
छा जाता जीवन में बसंत ,
सब ब्यथा कथा जीवन पर्यंत ,
बन पराग पथ में बिछ जाते ,
लौट अगर तुम वापस आते
chaubeyji,
जवाब देंहटाएंchhandbadhdh rachi rachna ka bhi apna aanand he.
sundar tor tarika.
saadhuvaad
... सुन्दर रचना !!!!
जवाब देंहटाएंGr8 poem yar, very touching, keep it up...
जवाब देंहटाएंnice one.......
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