मन के निर्झर बन में , क्यों पुष्प नए खिल जाते.
भंवरे की गुंजन सी कहती खुच बीती बिस्म्रित बातें.
मधुमय मोहमयी थी , मन बहलाने की क्रीड़ा.
अब हृदय हीला देती है , वह मधुर प्रेम की पीडा.
जिस छन देखा मैंने तुमको, बस गयी वो छवी आँखों में.
खिंची लकीर हृदय में , जो अलग रही लाखों में .
जैसे जलनिधि में आकर , किरणे मिलती हैं लहर से ,
वैसा कुछ आभास हुआ , जब नजरें मिली नजर से.
मुखमंडल शशि से सुन्दर , आँचल में चपल चमक सी.
नयनो में श्यामल पुतली, पुतली में श्याम झलक सी.
इन स्याम वॉर्न नयनो में , थी लाखों योवन की लाली.
जैसे मदिरामय हो जाये , संपूर्ण गगन की प्याली.
भंवरे की गुंजन सी कहती खुच बीती बिस्म्रित बातें.
मधुमय मोहमयी थी , मन बहलाने की क्रीड़ा.
अब हृदय हीला देती है , वह मधुर प्रेम की पीडा.
जिस छन देखा मैंने तुमको, बस गयी वो छवी आँखों में.
खिंची लकीर हृदय में , जो अलग रही लाखों में .
जैसे जलनिधि में आकर , किरणे मिलती हैं लहर से ,
वैसा कुछ आभास हुआ , जब नजरें मिली नजर से.
मुखमंडल शशि से सुन्दर , आँचल में चपल चमक सी.
नयनो में श्यामल पुतली, पुतली में श्याम झलक सी.
इन स्याम वॉर्न नयनो में , थी लाखों योवन की लाली.
जैसे मदिरामय हो जाये , संपूर्ण गगन की प्याली.
जैसे जलनिधि में आकर , किरणे मिलती हैं लहर से ,
जवाब देंहटाएंवैसा कुछ आभास हुआ , जब नजरें मिली नजर से.
ye to bahut khoob likh diya aapne/ mujhe lagata he yahi is poori rachna ki jaan he/
badhai
सुंदर रचना ..!!
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