मैं तुम्हें अपना बनाना चाहता हूं
है कहीं ब्याकुल धरा से मेघ मिलने को
तो कहिं हिमखन्ड आतुर बूंद बनने को
भ्रमर जैसे कुमुदनि में स्वयम को भूल जाता है
पतन्गा भस्म होने पर भि देखो मुस्कराता है
मैं तुम्हारि आग में तन मन जलाना चाहता हूं
मैं तुम्हें अपना बनाना चाहता हूं
तुम नहीं थे तब स्वयम से दूर था मैं जा रहा
श्रिष्टि का हर एक कण मुझमे कमीं था पा रहा
तुम ना थे तो कर सकीं थि, प्यार मिट्टि भि न मुझको
पास तुम आये जमाना पास मेरे आ रहा था
फिर समय कि क्रूर गति पर मुस्कराना चाहता हूं
मैं तुम्हें अपना बनाना चाहता हूं
है कहीं ब्याकुल धरा से मेघ मिलने को
तो कहिं हिमखन्ड आतुर बूंद बनने को
भ्रमर जैसे कुमुदनि में स्वयम को भूल जाता है
पतन्गा भस्म होने पर भि देखो मुस्कराता है
मैं तुम्हारि आग में तन मन जलाना चाहता हूं
मैं तुम्हें अपना बनाना चाहता हूं
तुम नहीं थे तब स्वयम से दूर था मैं जा रहा
श्रिष्टि का हर एक कण मुझमे कमीं था पा रहा
तुम ना थे तो कर सकीं थि, प्यार मिट्टि भि न मुझको
पास तुम आये जमाना पास मेरे आ रहा था
फिर समय कि क्रूर गति पर मुस्कराना चाहता हूं
मैं तुम्हें अपना बनाना चाहता हूं
स्वागत है।
जवाब देंहटाएंथोड़ा और गहरे उतरें।
वर्तनी दोष हटाएँ। इन्हें आज भी अच्छा नहीं माना जाता।
aapki rachna parshanshniy hai..
जवाब देंहटाएंlikhte rahiye
shubhkamnaoo k sath swagat hai
समय की क्रूर गति पर मुस्काराना चाहता हूं...
जवाब देंहटाएंसंभावनाएं हैं...टटोलिए...
बहुत बेहतरीन कविता
जवाब देंहटाएंkitni baar dvaar se lautaa ,chukar ,band kivaar tumahre ,kaihin ye ek tarfaa pyaar to nahin .jo ho kashish hai dost ,bhaavpurn ,gun-gunaati si hai kavita .veerubhaai.
जवाब देंहटाएंi am ready.narayan narayan
जवाब देंहटाएंअच्छा है अंदाज़े-बयाँ।
जवाब देंहटाएंसुस्वागतम्।
बहुत सुंदर…..आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्लाग जगत में स्वागत है…..आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्त करेंगे …..हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।
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