रविवार, 5 जुलाई 2009

कुछ कहे बिना , कुछ सुने बिना तुम चले गये बस हांथ छुडाकर

कुछ कहे बिना , कुछ सुने बिना तुम चले गये बस हांथ छुडाकर

कुछ बात अगर हो जाती तो , मन में पीडा ना होती
कुछ मुझको अगर सुनाती तो , आंखें मेरी ना रोती
तुम चुपचाप चले गये बस ,मुझसे अपना साथ छुडाकर

कुछ कहे बिना , कुछ सुने बिना तुम चले गये बस हांथ छुडाकर

दिल में ईक टीस उभरती है, सांसें बस चलती रहती हैं
सुन्दर सुखद सरल छवि तेरी, नयन पटल पर रहती है
तुम चुपचाप चले गये बस, ईस जग से बन्धन तुड्वाकर

कुछ कहे बिना , कुछ सुने बिना तुम चले गये बस हांथ छुडाकर

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

website Development @ affordable Price


For Website Development Please Contact at +91- 9911518386