शायद जिन्हें कभी नही मिलना होता है वो जाने से पहले हुमारे दिल में सदा के लिए बस जया करते हैं | जीवन के किसी ना किसी मोड़ पर मिलते हैं और फिर बिछड़ जाते है कभी नही मिलने के लिए | चन्द मिनटों की मुलाकात में ही ये अपना काम बखूबी कर जाते हैं, फिर ना हम कभी इनका इंतजार करतें हैं और ना ही मिलने की इच्छा होती है और ना ही इनके जाने का दूख: बस मिल जाते है किसी मोड़ पर एक खूबसूरत याद की तरह | ऐसे लोग कभी बिछड़ते नहीं ...वे केवल मिलते हैं ...
ऐसे ही मिली थी वो एक दिन अचानक ! उसने कहा था सिगरेट क्यों पीते हो , इससे चेहरा मुरझा जाता है , देखते नही इसके पॅकेट पर भी लिखा है " सिगरेट पीना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है " , मैं ज़ोर से हंस पड़ा था | उसने पूछा था "इसमे हँसने वाली क्या बात है" मैंने कहा देखो हँसने से चेहरे पर चमक वापस आ जाती है और लिखने से कुछ नही होता जैसे अगर इंसान के शरीर पर ये गूदवा दिया जाए की " ये शरीर नश्वर है, मृत्यु अटल है , एक दिन सबको मरना है" तो क्या लोग जीना छोड़ देंगे, नहीं वो जियेंगे ठीक मेरी तरह जैसे में सिगरेट पी रहा हूँ वैधानिक चेतावनी के बावज़ूद | जब तक सिगरेट थी तब तक दोस्ती , सिगरेट के अंतिम छोर तक आते दोस्ती अलविदा हो ली , वो अपने रास्ते और मैं फिर अपने तन्हाईओं के साथ जिंदगी के उलझे सिरों को सुलझाने में लग गया और जो सिरा ना सुलझता दिखाई दे उसे बस धुएें में उड़ाने लगा | धुआँ जिंदगी के जैसा ही तो होता है ना काला ना सफेद , उड़ता रहता है हवा में टेढ़े मेढ़े पर उपर की ओर , ज़मीन पर नहीं टिकता ठीक जिंदगी की तरह...........
दीपक जी बहुत ही खूबसूरत लेख है आपका। बहुत गजब का लिख दिया आपने तो आपकी यह रचना बहुत अच्छी है। आप शब्दनगरी पर भी ऐसी रचनाएं लिख सकते हैं। वहां पर भी तलब ऐसी की फ्लाइट में चुपके से फूंक ली सिगरेट , उसके बाद जो हुआ जैसे लेख पढ़ व् लिख सकते हैं।
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