चुनाव के परिणाम आ चुके है और ये परिणाम देख कर तो यही लगता है की जिस
भी पार्टी को कांग्रेस ने छू भी दिया है वो हार गयी है ..मतलब जनता पुरे
देश में कांग्रेस को नकार रही है यानि कांग्रेस का सफाया जारी है ।
वामपंथी भी खुद अपने लाल दुर्ग में हार गए मेरा मतलब दुबारा हार गए । केरल
में वामपंथियों की जीत कोई अजूबा नहीं है , एक तो वहां हर 5 साल बाद सरकार
बदलने की परंपरा रही है और दूसरे वहां जनता के पास कोई तीसरा विकल्प भी
नहीं था जैसा की पश्चिम बंगाल में था जहां ममता दीदी की पार्टी ने दुबारा
जीत दर्ज की । हालाँकि बी जे पी के लिए आसाम में जीत के बाद अच्छी खबर यह
भी है की वो पश्चिम बंगाल और केरल में भी सेंध लगाने में कामयाब रही है
हालाँकि पश्चिम बंगाल में वोट शेयर 16 प्रतिशत से कम होकर 11 प्रतिशत ही रह
गया है फिर भी बी जे पी के लिए अच्छी खबर है पर इन्हें इस जीत से फूल के
कुप्पा नहीं होना चाहिए । तमिलनाडु में जयललिता दुबारा चुनी गयी उसका
सिर्फ एक कारन है की बिपक्ष की पार्टी को कांग्रेस ने छु लिया था ।
जहां
जहां भी जनता को वामपंथि और कांग्रेस के अलावा कोई तीसरा विकल्प मिला उसने
उसी को चुन लिया । जनता जानती है की कांग्रेस एक ऐसे व्यक्ति को हम पर
थोपना चाहती है जिसे विकास का व भी नहीं आता यह पार्टी परिवार वाद से बाहर
नहीं आएगी और वामपंथियों की नौटंकियों से जनता परेशान हो चुकी है कभी
दादरी , कभी असहिष्णुता तो कभी जे एन यू । केरल में वामपंथियों की जीत को
मैं उनके लिए सांत्वना भी नहीं मनाता ।
बी जे पी ने
स्थानीय नेतृत्व पर भरोसा किया और स्थानीय मुद्दे उछाल आसाम में जीत हासिल
की जिसमे आर एस एस की भूमिका अहम थी जो पिछले तीन दशक से आसाम में कमल
खिलाने के लिए जमीनी स्तर पर प्रयास कर रही थी । हालाँकि इस जीत से बी जे
पी को अति उत्साही नहीं होना चाहिए क्योंकि 2 साल के बाद भी लोग अच्छे
दिनों का इंतज़ार कर रहे है ।
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