शनिवार, 14 मई 2016

इंडिया कभी सेक्युलर नहीं था........




भारत एक अजीब देश है , कहते है यह एक सेक्युलर देश है मतलब हिन्दू लॉ या शरिया कई कोई असर देश के कानून  पर नहीं पड़ना चाहिए , सबके लिए एक सामान कानून होना चाहिए जो धर्म आधारित नहीं हो  पर ...... यहां दो अलग कानून है , मुसलमान चार चार शादिया कर सकता है पर हिन्दू दूसरी करे तो उसे जेल में डाल दिया जायेगा जबकि एक से ज्यादा शादी दोनों के लिया अवैध होना चाहिए , ये एक ऐसा देश है जहां मेजोरिटी को नेता हमेशा से इग्नोर करते आये है पर माइनॉरिटी को खुश करने के लिए किसी भी हद तक गए है  , उदहारण के लिए आप शाहबानो केस ले सकते है, शाहबानो केस में जब सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत का फैसला सही ठहराया तब तात्कालिक सरकार ने जमा मस्जिद के सही इमाम के अनुरुप संविधान बदल दिया |
कशमीरी पंडितो पर क्या कोई बहस इस कांग्रेस सरकार ने आज तक की ? क्या उत्तर प्रदेश में धर्म आधारित आरक्षण और कैश स्कीम नहीं है ?
हिन्दू तीर्थ यात्री रोड टैक्स देते है पर मुस्लिमो को हज सब्सिडी दी जाती है क्यों?
ऐसे कई उदहारण है फिर भी कहते है भारत सेक्युलर देश है | मगर कैसे ये कम से कम मुझे तो समझ नहीं आता |
  | सभी जानते है की हिन्दुओ का धर्म परिवर्तन बड़ी संख्या में किया जाता रहा है पर हमारी सरकार और भांड मीडया को  केवल घर-वापसी ही दिखाई देता है | यदि धर्म के प्रचार की स्वतंत्रता की मांग मिडिया और सरकार द्वारा की जा रही है तो हिन्दू अपने धर्म का प्रचार प्रसार करने के लिए स्वतंत्र क्यों नहीं होना चाहिए ?

गुजरात के दंगो की बात सभी करते है पर गोधरा में ट्रेन के एक डिब्बे में बैठे लोगो को जिन्दा जला देने की घटना पर कोई बात नहीं करते |

इंडिया कभी सेक्युलर नहीं था क्योंकि जो देश धर्म के आधार पर ही बन हो वो सेक्युलर कैसे हो सकता है ...... भारत हो सकता था पर उसके तो सेक्युलर लोगो ने टुकड़े कर दिए |


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